शीर्षक - कविता (मेरी नज़र से)
मां की ममता
पिता का दुलार
भाई का प्यार
बहन का राखी का त्यौहार है कविता
कुंठित मन पर प्रहार
डूबते मांझी की पतवार
शब्द पुष्पों से महकता हार
साहस की चमकती तलवार है कविता
कवि हृदय से बहती गंगा धार
कान्हा मुख से निकली गीता सार
कबीर का दोहा, सूर, मीरा की करूण पुकार
सात सुरों का मधुर संगीत, वीणा की झंकार है कविता
कभी कड़वा, कभी शहद सा मीठा उद्गार
प्रेम से प्रकटी, प्रेम में सिमटी, प्रेम आधार
नारी हृदय की वेदना, नारी का सोलह श्रृंगार
देश के वीरों की आन बान शान, हथियार है कविता
समाज की नई दिशा बेटियों पर रोकती अत्याचार
दुष्टों का संहार, रौद्र रूप दुर्गा मां काली अवतार
मानों तो प्रकृति का सौंदर्य मनोहारी रूप आकार है कविता
ना मानो तो केवल शब्दों का भार है कविता
ना मानो तो कोरे पन्नों पर काली स्याही बेकार है कविता।।
पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🙏 💐💐
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