शीर्षक - श्याम रंग ना भाए रि सखी
श्याम की यादों में बिखरी जुल्फें,उदास नैना,तन की सुध बुध बिसराए राधे बावरी सी,कालिंदी तट पर गुमसुम सी बैठी हुई उसी डगर को निहार रही है जिस डगर पर श्याम राधे से कहकर गए थे कि मैं शीघ्र ही लौटकर आऊंगा।
संध्या की उस उदास वेला में राधे को ढूंढती हुई राधे की अष्ट सखियां
ललिता,विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चंपकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या,सुदेवी आती है और जैसे ही सखियां राधे से श्याम की बातें शुरू करती हैं।
हमेशा श्याम की छवि को तरसती आंखे श्याम नाम सुनने को तरसते कान आज अचानक!झुंझलाकर राधे सखियों से कहती है।
क्या कहती है ?सुनने से पहले करबद्ध निवेदन 🙏🙏
राधे और मोहन का प्रेम निश्छल प्रेम था, मैं उस प्रेम की व्याख्या कर सकूं इस काबिल बिल्कुल नहीं, फिर भी कुछ टूटे फ़ूटे अल्फ़ाज़ गीत माला में पिरोकर, राधे रानी के चरणों में समर्पित कर रहा हूं ।
कोई गलती हो तो क्षमा करना,मेरी वजह से किसी कोमल हृदय को ठेस पहुंचे तो मैं स्वयं सजा का अधिकारी हूं।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
ना सजाए नयनों में काजल,
राधे श्याम रंग बिसराए,
उड़ जा रि ओ बैरन कोयल,
ना कूक मुंडेर पे मोरी, तोरी वाणी हियो जलाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
मत छा ए काली घटा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना बरस रे ओ काले मेघा,
ना बरस ब्रज नगरीया मोरी, तोरी बूंदें चुभ चुभ जाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
मत आ ए बैरन निशा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना बरसा ओ चांद चांदनी,
ना निकल डगरीया मोरी,तोरी रोशनी पीर की तीर चलाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
ना भाए मोहे कारी गइया,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना आईने संग मतवाले नैना,
ना निहारूं रि ना संवारूं केश कंटीले, दर्द दरिया रहे बहाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
ना भाए मोहे कारी कमलिया,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना ओढूं रि प्रेम चुनरिया,
ना मिल रि ओ कारी गुजरिया, तोरा कारा तिल,
तनिक ना मोहे सुहाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
लिख भेजो रक्त संदेशा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना आइयो इस देश सांवरा,
राधे श्याम रंग ना भाए, तोहे दिन्ही राधे बिसराय,
तोहे दिन्ही राधे बिसराय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी
श्याम रंग ना भाए।।
बड़ी मुश्किल से इतना कहकर राधे सखियों का आलिंगन कर, नयन नीर नदियां बहा बेहोश सी हो जाती है।
जैसे राधे बेहोश होती है सन्नाटा सा फ़ैल जाता है,ना पक्षियों का कलरव,ना झरनों की झंकार,ना नदियों का शोर, कुछ भी नहीं, वक्त ठहर सा जाता है ऐसे लगता है जैसे सम्पूर्ण सृष्टि अचेतन रुप में प्रेम विहिन हो प्राण त्याग चुकी है।।
🙏🙏जय जय श्री राधे 🙏🙏
पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🙏💐💐