Monday, January 23, 2023

खाटू श्याम कथा (हाइकु)

महाभारत
कृष्ण ने रोका मार्ग
कौन हो तुम।

मैं बर्बरीक
नीले घोड़े सवार
मोर्विनंदन।

भीम का पौत्र
घटोत्कच का पुत्र
हूं शक्तिशाली।

पाशा बदलूं
तीन बाण से लड़ूं
मैं बलशाली।

सोचा कृष्ण ने
बातों में फुसलाया
दिखाओ शक्ति।

चलाओ बाण
हर पत्ते को बीनों
मानूं मैं वीर।

वीर ने तब
एक बाण चलाया
पत्तो को बीना।

तीर जा रूका
जहां कृष्ण ने एक
पत्ता दबाया।

हटा लो कान्हा
मैं पत्ते को बीनूंगा
पैर हटाओ।

शक्ति को जाना
तब कृष्ण ने कहा
मुझे तू जान।

शीश का दान
कर दो बलवान
मैं हूं ईश्वर।

वीर ने जाना
प्रभू को पहचाना
शीश लो दान।

प्रभू से कहा
रण देखना चाहूं
स्वीकारो अर्जी।

ले वरदान
मिला श्याम का नाम
खाटू में धाम।

खाटू नगरी
बैठा है श्याम धणी
खाटूश्यामजी।

लखदातार
वो तीन बाणधारी
सांवरा सेठ।

ग्यारस मेला
भीड़ लगे है भारी
दरबार में।

फूलों से सजे
चूरमा भोग लगे
श्याम धणी के।

सबका प्यारा
है हारे का सहारा
श्याम मुरारी।

सुन लो प्यारे
अर्ज है तेरे द्वारे
लगे हाजिरी

खाटू नरेश
तेरी सदा ही जय
जय श्री श्याम।।

🌹🌹जय श्री श्याम 🌹🌹
पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🙏💐💐

Thursday, May 12, 2022

हम कबसे नाम उसका लिए जा रहे हैं

https://youtu.be/9OXrJ60ItKgशीर्षक - हम कबसे नाम उसका लिए जा रहे हैं

श्याम चरणों में समर्पित ग़ज़ल पुष्प🌹🌹

हम कबसे नाम उसका लिए जा रहे हैं
वो महफिल में रूसवा किए जा रहे हैं
नहीं याद उसको हमारी मोहब्बत 
वो सीतम पर सीतम हां किए जा रहे हैं

लब हिलते हैं और हम सिये जा रहे हैं
वो गम पे हमें गम दिए जा रहे हैं
बीती बातें वो यादें सताती है मोहन 
वो जख्मों पे जख्म हां दिए जा रहे हैं

हम आंसू पे आंसू पिएं जा रहे हैं 
वो पर्दे पे पर्दा किए जा रहे हैं
ना मर भी सकता है ये श्याम दीवाना
ना चाहकर भी अब हम जिए जा रहे हैं।।

अर्ज़ है...
कभी फुर्सत से बैठो दर्द का दिल के तराजू में हिसाब करेंगे
तेरे दर्द का वजन अधिक निकला ना कभी हम आह भरेंगे
जो क़र्ज़दार हुआ श्याम दीवाना तेरे दर्द का मोहन
समंदर का इंतजार नहीं चुल्लू भर पानी में डूब मरेंगे।।

जय श्री श्याम 🙏🙏
जय जय श्री राधे 🙏🙏

पिंटू कुमावत'श्याम दिवाना'🙏🙏💐💐

Wednesday, May 11, 2022

श्याम रंग ना ना भाए रि सखी

शीर्षक - श्याम रंग ना भाए रि सखी

श्याम की यादों में बिखरी जुल्फें,उदास नैना,तन की सुध बुध बिसराए राधे बावरी सी,कालिंदी तट पर गुमसुम सी बैठी हुई उसी डगर को निहार रही है जिस डगर पर श्याम राधे से कहकर गए थे कि मैं शीघ्र ही लौटकर आऊंगा।

संध्या की उस उदास वेला में राधे को ढूंढती हुई राधे की अष्ट सखियां
ललिता,विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चंपकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या,सुदेवी आती है और जैसे ही सखियां राधे से श्याम की बातें शुरू करती हैं।
हमेशा श्याम की छवि को तरसती आंखे श्याम नाम सुनने को तरसते कान आज अचानक!झुंझलाकर राधे सखियों से कहती है।

क्या कहती है ?सुनने से पहले करबद्ध निवेदन 🙏🙏
राधे और मोहन का प्रेम निश्छल प्रेम था, मैं उस प्रेम की व्याख्या कर सकूं इस काबिल बिल्कुल नहीं, फिर भी कुछ टूटे फ़ूटे अल्फ़ाज़ गीत माला में पिरोकर, राधे रानी के चरणों में समर्पित कर रहा हूं ।
कोई गलती हो तो क्षमा करना,मेरी वजह से किसी कोमल हृदय को ठेस पहुंचे तो मैं स्वयं सजा का अधिकारी हूं।

श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।

ना सजाए नयनों में काजल,
राधे श्याम रंग बिसराए,
उड़ जा रि ओ बैरन कोयल,
ना कूक मुंडेर पे मोरी, तोरी वाणी हियो जलाय।

श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।

मत छा ए काली घटा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना बरस रे ओ काले मेघा,
ना बरस ब्रज नगरीया मोरी, तोरी बूंदें चुभ चुभ जाय।

श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।

मत आ ए बैरन निशा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना बरसा ओ चांद चांदनी,
ना निकल डगरीया मोरी,तोरी रोशनी पीर की तीर चलाय।

श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।

ना भाए मोहे कारी गइया,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना आईने संग मतवाले नैना,
ना निहारूं रि ना संवारूं केश कंटीले, दर्द दरिया रहे  बहाय।

श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।

ना भाए मोहे कारी कमलिया,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना ओढूं रि प्रेम चुनरिया,
ना मिल रि ओ कारी गुजरिया, तोरा कारा तिल,
तनिक ना मोहे सुहाय।

श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।

लिख भेजो रक्त संदेशा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना आइयो इस देश सांवरा,
राधे श्याम रंग ना भाए, तोहे दिन्ही राधे बिसराय,
तोहे दिन्ही राधे बिसराय।

श्याम रंग ना भाए रि सखी
श्याम रंग ना भाए।।




बड़ी मुश्किल से इतना कहकर राधे सखियों का आलिंगन कर, नयन नीर नदियां बहा बेहोश सी हो जाती है।
जैसे राधे बेहोश होती है सन्नाटा सा फ़ैल जाता है,ना पक्षियों का कलरव,ना झरनों की झंकार,ना नदियों का शोर, कुछ भी नहीं, वक्त ठहर सा जाता है ऐसे लगता है जैसे सम्पूर्ण सृष्टि अचेतन रुप में प्रेम विहिन हो प्राण त्याग चुकी है।।

🙏🙏जय जय श्री राधे 🙏🙏

पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🙏💐💐

Tuesday, May 10, 2022

तुम मिलते नहीं वहां पर जहां देते हो तुम ठिकाना


शीर्षक - तुम मिलते नहीं वहां जहां देते हो तुम ठिकाना

आप सभी स्नेहीजनों के आशीर्वाद से श्याम चरणों में पहला भजन पुष्प अर्पण 🙏🙏जय श्री श्याम 🙏🙏 

तुम मिलते नहीं वहां जहां देते हो तुम ठिकाना
किस और जा रहे हैं 
किस और जा रहे हैं हमको जरा बताना
तुम मिलते नहीं वहां जहां  देते हो तुम ठिकाना

जिससे भी पुछते है कहता है चलते जाओ
कभी दाएं कभी बाएं ऐसे ही मुड़ते जाओ

कैसी तेरी मोहब्बत 
कैसी तेरी मोहब्बत कैसा तेरा फ़साना
देते हो दर्द दिल में 
देते हो दर्द दिल में कहते हो मुस्कुराना
तुम मिलते नहीं वहां जहां देते हो तुम ठिकाना

(कुछ ऐसे भी मिले राहों में जो पुछते है मुझसे)

किस और जा रहे हो जरा हमें भी बताओं
कुछ पल तो ठहरों गीत हमें भी सुनाओ

(और तुम्हारी शरारत देखों मोहन)

पिलाकर जाम अंखियों से
पिलाकर जाम अंखियों से कहते हो बहक ना जाना
इशारे कर के बुलाते हो कहते हो नहीं आना
तुम मिलते नहीं वहां जहां देते हो तुम ठिकाना

कहते रहे हम सबसे एक फूल तो बिछाओ
राधे संग मिलेंगे मोहन जरा डट कर उसे रिझाओ

(मगर 
मगर जब से तेरी  हकीकत पहचानी ओ बेदर्दी )

तब से  हम क्या कहते हैं  गौर फरमाइएगा जरा 

यह दर्द का दरिया है 
यह दर्द का दरिया है सोच समझ कर कदम बढ़ाना 
छेड़ कर वो तार दिल के 
छेड़ कर वो तार दिल के बंद कर देता है मुरली बजाना
वो मन का मधुप है छलिया
वो मन का मधुप है छलिया बदल लेता है वो ठिकाना।

सुन लो रे श्याम दीवानों 
दिल देके सौदा होता है 
सस्ता नहीं है यारों 
सस्ता नहीं है यारों मोहन से दिल लगाना
आंखों के है इशारे बस 
आंखों के है इशारे बस चक्कर में नहीं आना

सुन लो रे प्रेम दीवानों 
एक बार आ गया जो
एक बार आ गया जो भूल जाएगा वो जमाना 
कैसी ग़ज़ल रे पिंटू
कैसी ग़ज़ल रे पिंटू, आंसू ही श्याम ठिकाना ।

सुन ले रे श्याम प्यारे
हां सुन ले श्याम प्यारे
कहो कैसे रिझाएं तुम को
क्या दिल ही चीर कर अब
क्या दिल ही चीर कर अब पड़ेगा हमें दिखाना
कतरे कतरे में श्याम तू ही 
कतरे कतरे में श्याम तू ही मेरे दिल का तू ही ठिकाना।

तुम मिलते नहीं वहां जहां देते हो तुम ठिकाना
तुम मिलते नहीं वहां जहां देते हो तुम ठिकाना

पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🙏 💐💐


कविता (मेरी नज़र से)

 शीर्षक -  कविता (मेरी नज़र से)


मां की ममता 

पिता का दुलार

भाई का प्यार

बहन का राखी का त्यौहार है कविता


कुंठित मन पर प्रहार

डूबते मांझी की पतवार 

शब्द पुष्पों से महकता हार 

साहस की चमकती तलवार है कविता


कवि हृदय से बहती गंगा धार 

कान्हा मुख से निकली गीता सार 

कबीर का दोहा, सूर, मीरा की करूण पुकार 

सात सुरों का मधुर संगीत, वीणा की झंकार है कविता


कभी कड़वा, कभी शहद सा मीठा उद्गार 

प्रेम से प्रकटी, प्रेम में सिमटी, प्रेम आधार 

नारी हृदय की वेदना, नारी का सोलह श्रृंगार 

देश के वीरों की आन बान शान, हथियार है कविता


समाज की नई दिशा बेटियों पर रोकती अत्याचार 

दुष्टों का संहार, रौद्र रूप दुर्गा मां काली अवतार 

मानों तो प्रकृति का सौंदर्य मनोहारी रूप आकार है कविता


ना मानो तो केवल शब्दों का भार है कविता

ना मानो तो कोरे पन्नों पर काली स्याही बेकार है कविता।।


पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🙏 💐💐



खाटू श्याम कथा (हाइकु)

महाभारत कृष्ण ने रोका मार्ग कौन हो तुम। मैं बर्बरीक नीले घोड़े सवार मोर्विनंदन। भीम का पौत्र घटोत्कच का पुत्र हूं शक्तिश...