Thursday, May 12, 2022
हम कबसे नाम उसका लिए जा रहे हैं
Wednesday, May 11, 2022
श्याम रंग ना ना भाए रि सखी
शीर्षक - श्याम रंग ना भाए रि सखी
श्याम की यादों में बिखरी जुल्फें,उदास नैना,तन की सुध बुध बिसराए राधे बावरी सी,कालिंदी तट पर गुमसुम सी बैठी हुई उसी डगर को निहार रही है जिस डगर पर श्याम राधे से कहकर गए थे कि मैं शीघ्र ही लौटकर आऊंगा।
संध्या की उस उदास वेला में राधे को ढूंढती हुई राधे की अष्ट सखियां
ललिता,विशाखा, चित्रा, इंदुलेखा, चंपकलता, रंगदेवी, तुंगविद्या,सुदेवी आती है और जैसे ही सखियां राधे से श्याम की बातें शुरू करती हैं।
हमेशा श्याम की छवि को तरसती आंखे श्याम नाम सुनने को तरसते कान आज अचानक!झुंझलाकर राधे सखियों से कहती है।
क्या कहती है ?सुनने से पहले करबद्ध निवेदन 🙏🙏
राधे और मोहन का प्रेम निश्छल प्रेम था, मैं उस प्रेम की व्याख्या कर सकूं इस काबिल बिल्कुल नहीं, फिर भी कुछ टूटे फ़ूटे अल्फ़ाज़ गीत माला में पिरोकर, राधे रानी के चरणों में समर्पित कर रहा हूं ।
कोई गलती हो तो क्षमा करना,मेरी वजह से किसी कोमल हृदय को ठेस पहुंचे तो मैं स्वयं सजा का अधिकारी हूं।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
ना सजाए नयनों में काजल,
राधे श्याम रंग बिसराए,
उड़ जा रि ओ बैरन कोयल,
ना कूक मुंडेर पे मोरी, तोरी वाणी हियो जलाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
मत छा ए काली घटा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना बरस रे ओ काले मेघा,
ना बरस ब्रज नगरीया मोरी, तोरी बूंदें चुभ चुभ जाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
मत आ ए बैरन निशा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना बरसा ओ चांद चांदनी,
ना निकल डगरीया मोरी,तोरी रोशनी पीर की तीर चलाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
ना भाए मोहे कारी गइया,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना आईने संग मतवाले नैना,
ना निहारूं रि ना संवारूं केश कंटीले, दर्द दरिया रहे बहाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
ना भाए मोहे कारी कमलिया,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना ओढूं रि प्रेम चुनरिया,
ना मिल रि ओ कारी गुजरिया, तोरा कारा तिल,
तनिक ना मोहे सुहाय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी,
मोहे श्याम रंग ना भाए।
लिख भेजो रक्त संदेशा,
राधे श्याम रंग बिसराए,
ना आइयो इस देश सांवरा,
राधे श्याम रंग ना भाए, तोहे दिन्ही राधे बिसराय,
तोहे दिन्ही राधे बिसराय।
श्याम रंग ना भाए रि सखी
श्याम रंग ना भाए।।
बड़ी मुश्किल से इतना कहकर राधे सखियों का आलिंगन कर, नयन नीर नदियां बहा बेहोश सी हो जाती है।
जैसे राधे बेहोश होती है सन्नाटा सा फ़ैल जाता है,ना पक्षियों का कलरव,ना झरनों की झंकार,ना नदियों का शोर, कुछ भी नहीं, वक्त ठहर सा जाता है ऐसे लगता है जैसे सम्पूर्ण सृष्टि अचेतन रुप में प्रेम विहिन हो प्राण त्याग चुकी है।।
🙏🙏जय जय श्री राधे 🙏🙏
पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🙏💐💐
Tuesday, May 10, 2022
तुम मिलते नहीं वहां पर जहां देते हो तुम ठिकाना
शीर्षक - तुम मिलते नहीं वहां जहां देते हो तुम ठिकाना
कविता (मेरी नज़र से)
शीर्षक - कविता (मेरी नज़र से)
मां की ममता
पिता का दुलार
भाई का प्यार
बहन का राखी का त्यौहार है कविता
कुंठित मन पर प्रहार
डूबते मांझी की पतवार
शब्द पुष्पों से महकता हार
साहस की चमकती तलवार है कविता
कवि हृदय से बहती गंगा धार
कान्हा मुख से निकली गीता सार
कबीर का दोहा, सूर, मीरा की करूण पुकार
सात सुरों का मधुर संगीत, वीणा की झंकार है कविता
कभी कड़वा, कभी शहद सा मीठा उद्गार
प्रेम से प्रकटी, प्रेम में सिमटी, प्रेम आधार
नारी हृदय की वेदना, नारी का सोलह श्रृंगार
देश के वीरों की आन बान शान, हथियार है कविता
समाज की नई दिशा बेटियों पर रोकती अत्याचार
दुष्टों का संहार, रौद्र रूप दुर्गा मां काली अवतार
मानों तो प्रकृति का सौंदर्य मनोहारी रूप आकार है कविता
ना मानो तो केवल शब्दों का भार है कविता
ना मानो तो कोरे पन्नों पर काली स्याही बेकार है कविता।।
पिंटू कुमावत'श्याम दीवाना'🙏🙏 💐💐
खाटू श्याम कथा (हाइकु)
महाभारत कृष्ण ने रोका मार्ग कौन हो तुम। मैं बर्बरीक नीले घोड़े सवार मोर्विनंदन। भीम का पौत्र घटोत्कच का पुत्र हूं शक्तिश...
